बिहार के बारे में रोचक

बिहार की ऐतिहासिक धरोहर: नालंदा से वैशाली तक

बिहार भारत की धरती पर इतिहास और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल में ज्ञान और शिक्षा का विश्व प्रसिद्ध केंद्र रहा, जहाँ दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने आते थे। वैशाली, लोकतंत्र की जन्मभूमि मानी जाती है और यहाँ की ऐतिहासिक गाथाएँ बौद्ध धर्म से गहराई से जुड़ी हैं। 

बिहार का खान-पान: लिट्टी-चोखा से मिठास तक

बिहार का खान-पान अपनी सादगी और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की पहचान लिट्टी-चोखा से होती है, जो गेहूँ के आटे में सत्तू भरकर बनाया जाता है और बैंगन, आलू व टमाटर के चोखे के साथ खाया जाता है। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। बिहार की मिठाइयाँ भी पूरे देश में मशहूर हैं, जिनमें खाजा, तिलकुट, अनरसा और बालूशाही का अलग ही स्थान है। 

बिहार की राजनीति और लोकतंत्र में योगदान"

बिहार ने भारत की राजनीति और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज़ाद भारत तक, बिहार के नेताओं ने हमेशा देश की दिशा तय करने में योगदान दिया। जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ लोकतांत्रिक चेतना का प्रतीक बना।

झारखंड के बारे में रोचक

"झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थल"

झारखंड प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर राज्य है, जिसे “भारत का वन प्रदेश” भी कहा जाता है। यहाँ घने जंगल, झरने, पहाड़ और नदियाँ इसकी खूबसूरती को और खास बनाते हैं। नेतरहाट को ‘छोटानागपुर की रानी’ कहा जाता है, जहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। दशम, हुंडरू और हिरणी जैसे झरने सैलानियों को आकर्षित करते हैं। देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है

"झारखंड की जनजातीय संस्कृति और परंपराएँ"

झारखंड की पहचान उसकी समृद्ध जनजातीय संस्कृति और परंपराओं से होती है। यहाँ संथाल, मुंडा, उरांव और हो जैसी कई जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी जीवनशैली प्रकृति के साथ गहराई से जुड़ी है। उनके लोकगीत, नृत्य और त्योहार समाज की एकता और उत्साह को दर्शाते हैं। सरहुल, करम और सोहराय जैसे पर्व प्रकृति पूजन और सामूहिकता का प्रतीक हैं। झारखंड की कला में सोहराय चित्रकला और हस्तशिल्प विशेष स्थान रखते हैं। 

 
 

"खनिज संपदा का भंडार: झारखंड की अर्थव्यवस्था"

झारखंड भारत का वह राज्य है जिसे खनिज संपदा का खजाना कहा जाता है। यहाँ कोयला, लोहा, तांबा, यूरेनियम, बॉक्साइट और अभ्रक जैसी खदानें प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। यही कारण है कि झारखंड की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खनन उद्योग पर निर्भर है। बोकारो और जमशेदपुर जैसे शहर उद्योगिक विकास के केंद्र हैं, जहाँ स्टील और अन्य धातु उत्पादन होता है। खनिज संपदा ने न केवल राज्य की आय बढ़ाई है बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान किए हैं। सही प्रबंधन से झारखंड देश की ऊर्जा और उद्योग शक्ति का आधार बना हुआ है।

 
 
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